MAHMOOD NOMAN’S FIVE POEMS

    Mahmood Noman

    घुन कीट

    देखा था वरुण ने जिस दिन

    माँ को लौटते हुए पतितालय से

    यतीम हो गयीं थीं अनायास बातें |

    धानवती जमीन के बीचोबीच बराबर

    करता रहा था चहलकदमी

    दिक् विहीन

    शून्यता की परिव्राजक होकर |

    उस दिन से हैं दोनों आँखें नदी

    हैं धान की बालियों पर ओस की बूँदें

    बजता रहा है ह्रदयपिंड का घंटा रह-रहकर |

    प्रतिदिन के सूरज डूबने की कसम

    इस शरद के अंत में

    उड़ जायेगा साइबेरियन पक्षी के संग

    दूर, बहुत दूर |

    ঘুণপোকা

    মাকে যেদিন পতিতালয় থেকে আসতে

    দেখেছিল বরুণ –

    কথারা অমনি এতিম হয়ে গিয়েছিল।

    ধানবতী জমির মাঝ’খান বরাবর

    হেঁটেছিল দিনভর,

    দিকবিহীন

    শূন্যতার পরিব্রাজক হয়ে।

    সেদিন থেকে দু’চোখ নদী-

    ধানের শীষে শিশির কণা

    হৃদপিণ্ডের ঘণ্টা বাজে থেমে থেমে।

    প্রতি দিবসের সূর্য ডোবার কসম,

    এই শীতের শেষে

    সাইবেরিয়ান পাখির সাথে উড়ে যাবে

    দূরে,অনেকদূর।

    पालविहीन साम्पन

    नदी के सिरहाने मेघ हत्या की संध्या

    कामुक हो उठती हैं बारिश की सखियाँ

    खोल देता है साड़ी की तह

    जलवाही जहाज, बसंत के वक्ष पर

    बह गया था मैं पालविहीन साम्पन में

    (*साम्पन:- लघु नौका)

    বৈঠাবিহীন সাম্পান

    নদীর সিথানে মেঘহত্যার সন্ধ্যাতে

    বৃষ্টির বান্ধবীরা কামুক হয়ে যায়

    পণ্যবাহী জাহাজে সারেঙের বুকে

    খুলে দেয় শাড়িটির ভাঁজ –

    আমি ভেসে ছিলাম বৈঠাবিহীন সাম্পানে।

    बिजूका

    केले के बरक में है लगा प्रेमिका का खून

    राम चिरैया के होठों में जलता है दोपहर

    प्रेम के मशाल में सूर्य की हँसी है फीकी

    और दांत से काटकर खा रहे हैं अन्तर्वयन लोग

    दब-दबकर स्वतःस्फूर्त, सद्य बोया गया फसल

    मैदान का है जाय-नमाज |

    लौट गयी निर्मित आत्मा, खुशबू

    निगलकर वहशत की हूर परियों को

    झूठे संसार में हर कोई कहे,

    बिजूका, बिजूका…..

    কাকতাড়ুয়া

    কলার বরকে প্রেমিকার রক্ত

    মাছরাঙার ঠোঁটে জ্বলছে দুপুর।

    প্রেমের মশালে সূর্যের হাসি ফিকফিকে,

    এবং কুরে খাচ্ছে অন্তর্বয়ন মানসগুলি

    গুমরে গুমরে স্বতঃস্ফূর্ত,সদ্যপোঁতা

    ফসল মাঠের জায়নামাজ।

    নির্মিত আত্মা ফিরে গেলো,খুশবু

    গিলে বেহেশতের হুরপরীদের-

    মিছে সংসারে সবাই বলুক,

    কাকতাড়ুয়া, কাকতাড়ুয়া……

    बारिश का तथ्य अनावरण 

    आक्रांत बारिश के प्याले में

    चुस्कियों में सन्यासी

    हर सावन मनाता है उत्सव आनन्द का

    भीगों देता है बारिश का पजामा |

    ढ़लती हुई सांझ है यह घर

    इस घर की चहलकदमी के बाद

    पोखर में कर स्नान

    काला कौआ बैठकर खूँटे के तार पर

    झांकता है झोले के भीतर!

    বর্ষার তথ্য ফাঁস

    আক্রান্ত বৃষ্টির পেয়ালায়

    চুমুকে সন্ন্যাসী-

    প্রতি শ্রাবণে মাতলামি করে,

    ভিজিয়ে দেয় বর্ষার পাজামা।

    উতরানি সন্ধ্যায় এ ঘর

    ঐ ঘর পায়চারি শেষে,

    পুকুরে স্নান করে

    দাঁড়কাক খুঁটির তারে বসে

    উঁকি মারে ঝলির ভেতর!

    लोजेंस कहानी

    रिक्शा के हुड को उठाकर

    प्रेम और कुहाशा गले मिल

    पार कर गए ईटों से बना रास्ता |

    है एनर्जी सेविंग्स बल्ब के शहर में

    कालाचान के दरगाह के रियासत में

    जज्बा से मजलूम मोम का ट्रे और

    निद्राहीन जंग लगा दीपक |

    चूस रही है पलाश के भोर में लाश की मक्खी

    चालीस कदम फाँदकर दूध की कटोरी

    माथे ऊपर कुरआन को उठाकर लिख रही है

    प्रेम का हलफनामा, शरीफ अली की बेटी- पॉपी

    श्री इच्छामती के बरामदे में, इन्द्र्पुल के पूरब में |

    লজেন্স কাহিনী

    রিকশার হুড তুলে ভালবাসা কুয়াশায় গলাগলি

    করে ইটের রাস্তা পেরিয়ে গেল।এনার্জি সেভিংস

    বাল্বের শহরে-কালাচাঁনের দরগা ভিটেয় জজবা

    হালে মজলুম মোমের ট্রে-নিদ্রাহীন মরিচে বাতি।

    পলাশের ভোরে লাশের মাছি চল্লিশ কদম ডিঙ্গে

    দুধের বাটি শুষছে।শরীফ আলীর তনয়া – পপি

    কুরআন মাথায় তুলে প্রেমের হলফনামা লিখছে-

    শ্রী ইছামতির দাওয়ায়-ইন্দ্রপুলের পুবে।

    Mahmood Noman
    Mahmood Noman

    कवि : महमूद नोमान

    पिता : अहमद हुसैन

    माता : मर्जिया बेगम

    जन्म : 18 अगस्त, 1990

    ग्राम : अनवरा

    जिला : चट्टोग्राम / चटगाँव

    देश  : बांग्लादेश

    शिक्षा : स्नातक

    सम्प्रति : व्यवसाय

    Hindi Translates by Mrs Sulochana Verma

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